सरकार की नीतियों में दीनदयाल जी के विचारों का प्रभाव
Abstract
मानव की बुनियादी जरूरतों का सीधा जुड़ाव सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक विषयों से होता है। एक आम मनुष्य का निजी एवं सार्वजनिक जीवन इन तीनों कारकों से प्रभावित होता है। कभी उसे राजनीति प्रभावित करती है तो कभी समाज की रीती-नीति तो कभी अर्थनीति का प्रभाव होता है। लेकिन सही मायने में अगर देखें तो मानव मात्र के लिए ये तीनों ही परस्पर जुड़े हुए कारक हैं। एक आम मनुष्य की मूल जरूरतों की पूर्ति को ध्यान में रखते हुए इतिहास में अनेक विद्वानों द्वारा अनेक विचार दिए गये हैं।
अनेक विद्वानों ने अपने-अपने तरीके से यह बताने की कोशिश की है कि मानव मात्र की बेहतरी के लिए समाज का स्वरुप क्या हो, राजनीति कैसी हो और अर्थनीति किस ढंग से संचालित की जाय। इसी श्रृंखला में एक बड़ा नाम जनसंघ के नेता, महान विचारक एवं चिंतक पंडित दीन दयाल उपाध्याय का भी है। राजनीति, समाज और अर्थ को मानव मात्र के कल्याण से जोड़ने का जो एक सूत्र पंडित दीन दयाल उपाध्याय ने दिया है, वो एकात्म मानववाद के दर्शन के रूप में विख्यात है।
मुख्य शब्द: एकात्म मानव दर्शन, मानवता, दीनदयाल उपाध्याय।